Thursday, September 29, 2022

Tribute to Bhagat Singh


Tribute to Bhagat Singh on his Birth anniversary.  (28 th September 1907-  23 March 1931) ..

Images Shared by Respected Prof Malwinder Jit Singh Warich ji on his page.

Wednesday, September 28, 2022

Tourism of India Quiz


 *Tourism of India Quiz*🛕🧗‍♀️🏔️🌄


*Ministry of Tourism, Govt. of India* in association with *Mind Wars* invites your students of Std. VI to XII to participate in a quiz competition on *Tourism of India* to celebrate *World Tourism Day*


👩🏻‍🎓 *For classes 6 to 12* 

🎖️ *Top 1,000 Scorers will get an exclusive gift hamper and certificate from the Ministry of Tourism, Govt. of India*

🗓️ *27 Sept 2022 to 11 Oct 2022*

⏳ 20 MCQ's - 10 Minutes


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🖊️ *Your school code is MH070029*


🆓 FREE OF COST 🆓


 

Regards,

Zee Mind Wars

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Tuesday, September 13, 2022

हिन्दी दिवस: हिंदी से जुड़ी कुछ रोचक बातें जिनके बारे में शायद ही आप जानते हों

हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। एक तथ्य यह भी है कि 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी के पुरोधा व्यौहार राजेन्द्र सिंहा का 50-वां जन्मदिन था, जिन्होंने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बहुत लंबा संघर्ष किया । स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए काका कालेलकरमैथिलीशरण गुप्तहजारीप्रसाद द्विवेदीसेठ गोविन्ददास आदि साहित्यकारों को साथ लेकर व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने अथक प्रयास किए।

भारत में हिन्दी कब बनी आधिकारिक भाषा
6 दिसंबर 1946 को आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान सभा का गठन हुआ। सच्चिदानंद सिन्हा संविधान सभा के अंतरिम अध्यक्ष बनाए गए। इसके बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को इसका अध्यक्ष चुना गया। डॉ। भीमराव अंबेडकर संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी (संविधान का मसौदा तैयार करने वाली कमेटी) के चेयरमैन थे। संविधान में विभिन्न नियम-कानून के अलावा नए राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का मुद्दा भी अहम था क्योंकि भारत में सैकड़ों भाषाएं और हजारों बोलियां थीं। काफी विचार-विमर्श के बाद हिन्दी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की आधिकारिक भाषा चुना गया। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को अंग्रेजी के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया। बाद में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने इस ऐतिहासिक दिन के महत्व को देखते हुए हर साल 14 सितंबर को ‘हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया। पहला आधिकारिक हिन्दी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।

हिंदी से जुड़ी कुछ रोचक बातें जिनके बारे में शायद ही आप जानते हों

  • 14 सितंबर, 1949 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिलने के बाद 1953 से पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जाने लगा.

  • हिंदी भाषा के प्रचार के लिए नागपुर में 10 जनवरी 1975 को विश्व हिंदी सम्मेलन रखा गया था. इस सम्मेलन में 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे.

  • हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज दुनिया में हिंदी चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है. दुनिया भर में हिंदी बोलने वालों की संख्या करीब 75-80 करोड़ है.

  • भारत में करीब 77 प्रतिशत लोग हिंदी लिखते, पढ़ते, बोलते और समझते हैं.

  • हिन्दी के प्रति दुनिया की बढ़ती चाहत का एक नमूना यही है कि आज विश्व के करीब 176 विश्वविद्यालयों में हिंदी एक विषय के तौर पर पढ़ाई जाती है.

  • हिंदी के प्रति लोगों की बढ़ती रुचि को देखते हुए साल 2006 के बाद से ही पूरी दुनिया में 10 जनवरी को हिंदी दिवस मनाया जाने लगा.

  • भारत के अलावा नेपाल, मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, यूगांडा, पाकिस्तान, बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका और कनाडा जैसे तमाम देशों में हिंदी बोलने वालों की संख्या अच्छी-खासी है. इसके आलावा इंग्लैंड, अमेरिका, मध्य एशिया में भी इस भाषा को बोलने और समझने वाले अच्छे-खासे लोग हैं.

  • हिंदी का नाम फारसी भाषा के 'हिंद' शब्द से निकला है. जिसका अर्थ 'सिंधु नदी की भूमि' है.

  • हिंदी भाषा की बढ़ती महत्ता को इस बात से समझा जा सकता है कि 'अच्छा', 'बड़ा दिन', 'बच्चा', 'सूर्य नमस्कार'

  • जैसे तमाम हिंदी शब्दों को ऑक्सफर्ड डिक्शनरी में शामिल कर लिया गया है.

  • फ़िजी एक ऐसा द्वीप देश है जहां हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है. जिसके चलते इन्हें फ़िजियन हिन्दी या फ़िजियन हिन्दुस्तानी भी कहा जाता है.

Reference

https://www.google.com/amp/s/www.abplive.com/news/india/hindi-diwas-today-hindi-language-is-getting-respect-worldwide-1562523/amp

Wednesday, September 7, 2022

मुंशी प्रेमचंद: जीवन परिचय

 

मुंशी प्रेमचंद: जीवन परिचय


मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले के लमही नामक गांव मे हुआ। इनकी माता का नाम आनंदी देवी एवं पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाक मुंशी थे 7 वर्ष की अवस्था में उनकी माता का तथा 16 वर्ष की अवस्था में उनके पिता का निधन हो गया। जिस कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्ष में रहा। उनका मूल नाम धनपतराय श्रीवास्तव था। प्रेमचंद की प्रारंभिक शिक्षा फारसी में हुई। 1898 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। नौकरी के साथ ही उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। B.A. पास करने के बाद वे शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए। इनका पहला विवाह उस समय की परंपरा के अनुसार 15 वर्ष की उम्र में हुआ जो सफल नहीं रहा। 1906 में उन्होंने बाल विधवा शिवरानी देवी से दूसरा विवाह किया उनकी तीन संताने श्रीपत राय, अमृतराय और कमला देवी श्रीवास्तव हुई। 1921 में असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी की सरकारी नौकरी छोड़ने के आह्‌वान पर स्कूल इंस्पेक्टर पद से 23 जून को त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद उन्होंने मर्यादा, माधुरी आदि पत्रिकाओं में संपादक के रूप में कार्य किया। उन्होंने हिंदी समाचार पत्रजागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। उन्होंने मोहन दयाराम भवानानी की अजंता सिनेटोम कंपनी में कथा लेखक की नौकरी भी की। 1934 में आई फिल्म मजदूर की कहानी प्रेमचंद द्वारा ही लिखी गई है। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्यिक सृजन में लगे रहे। निरंतर बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण लंबी बीमारी के बाद 8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हो गया।

   मुंशी प्रेमचंद: साहित्यिक परिचय

उपन्यास सम्राट कहे जाने वाले प्रेमचंद के साहित्य जीवन का आरंभ 1901 से हो चुका था। आरंभ में वह नवाबराय के नाम से उर्दू भाषा में लिखा करते थे। उनकी पहली रचना अप्रकाशित ही रही। इसका जिक्र उन्होंने पहली रचना नाम के अपने लेख में किया है। उनका पहला उपलब्ध और उपन्यास असरारे मआबिद है। जिस का हिंदी रूपांतरण देवस्थान रहस्य से हुआ। 1907 में उनका पहला कहानी संग्रह सोजे वतन प्रकाशित हुआ। देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण इस संग्रह को अंग्रेज सरकार ने प्रतिबंधित कर इनकी सभी प्रतियां जप्त कर ली और उनके लेखक नवाब राय को भविष्य में लेखक ना करने की चेतावनी दी। जिसके कारण उन्हें नाम बदलकर प्रेमचंद के नाम से लिखना पड़ा उन्हें प्रेमचंद नाम से लिखने का सुझाव देने

वाले दया नारायण निगम थे।


प्रेमचंद्र नाम से उनकी पहली

कहानी बड़े घर की बेटी जमाना पत्रिका में प्रकाशित हुई। 1915 में उस समय की प्रसिद्ध हिंदी मासिक पत्रिका सरस्वती में पहली बार उनकी कहानी सौत नाम से प्रकाशित हुई। 1919 में उनका पहला हिंदी उपन्यास सेवासदन प्रकाशित हुआ। इन्होंने लगभग 300 कहानियां तथा डेढ़ दर्जन उपन्यास लिखें। असहयोग आंदोलन के दौरान सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देने के बाद वे पूरी तरह साहित्य सजृन में लग गए। रंगभूमि नामक उपन्यास के लिए उन्हें मंगलप्रसाद पारितोषक से सम्मानित किया गया। प्रेमचंद की रचनाओं में उस दौर के समाज सुधारक आंदोलन स्वाधीनता संग्राम तथा प्रगतिवादी आंदोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण है।


उनमें दहेज,अनमोल विवाह,पराधीनता,लगान,छुआछूत जाति-भेद,आधुनिकता,विधवा-विवाह आदि उस दौर की सभी प्रमुख समस्याओं का चित्रण मिलता है। हिंदी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936 तक के कालखंड को प्रेमचंद युग कहा जाता है।

मुंशी प्रेमचंद: रचनाएं

 प्रेमचंद द्वारा लिखी गई प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं - 

1. उपन्यास - असरारे मआबिद, हिंदी रूपांतरण - देवस्थान हमखुर्मा व हमसवाब, हिंदी रूपांतरण - प्रेमा रूठी रानी,, कर्मभूमि, प्रतिज्ञा गोदान, वरदान तथा मंगलसूत्र।

2. कहानियां - प्रेमचंद ने लगभग 300 कहानियां लिखी। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं -  दो बैलों की कथा, पूस की रात, ईदगाह, दो सखियां, नमक का दरोगा, बड़े बाबू, सौत, सुजान भगत, बड़े घर की बेटी, कफन, पंचपरमेश्वर, नशा, परीक्षा, शतरंज का खिलाड़ी, बलिदान, माता का हृदय, मिस पदमा, कजाकी आदि।

3. कहानी संग्रह - सोजे वतन, सप्तसरोज, नवनिधि, समरयात्रा, मानसरोवर - आठ भागों में प्रकाशित।

4. नाटक - संग्राम, प्रेम की वेदी और कर्बला ।

5. निबंध - पुराना जमाना नया जमाना, स्वराज के फायदे, कहानी कला, हिंदू - उर्दू की एकता, उपन्यास, जीवन में साहित्य का स्थान, महाजनी सभ्यता आदि।

6. अनुवाद - प्रेमचंद्र एक सफल अनुवादक भी थे, उन्होंने "टॉलस्टॉय की कहानियां"," चांदी की डिबिया"," न्याय" और गर्ल्सवर्दी के तीन नाटकों का हड़ताल नाम से अनुवाद किया।

7. पत्र-पत्रिकाओं का संपादन - प्रेमचंद ने माधुरी, हंस, जागरण, मर्यादा का संपादन किया।

 

Source: https://www.nityastudypoint.com/2022/05/Premchand-ka-Jivan-Parichay.html

केंद्रीय विद्यालय चाकूर द्वारा *डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर* की जयंती पर कोटी कोटी नमन

  🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 प्रिय छात्रों, केन्द्रीय विद्यालय बी.एस.एफ. चाकुर भारतीय संविधान ...