मुंशी प्रेमचंद: जीवन परिचय
मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले के लमही नामक गांव मे हुआ। इनकी माता का नाम आनंदी देवी एवं पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाक मुंशी थे 7 वर्ष की अवस्था में उनकी माता का तथा 16 वर्ष की अवस्था में उनके पिता का निधन हो गया। जिस कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्ष में रहा। उनका मूल नाम धनपतराय श्रीवास्तव था। प्रेमचंद की प्रारंभिक शिक्षा फारसी में हुई। 1898 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। नौकरी के साथ ही उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। B.A. पास करने के बाद वे शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए। इनका पहला विवाह उस समय की परंपरा के अनुसार 15 वर्ष की उम्र में हुआ जो सफल नहीं रहा। 1906 में उन्होंने बाल विधवा शिवरानी देवी से दूसरा विवाह किया उनकी तीन संताने श्रीपत राय, अमृतराय और कमला देवी श्रीवास्तव हुई। 1921 में असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी की सरकारी नौकरी छोड़ने के आह्वान पर स्कूल इंस्पेक्टर पद से 23 जून को त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद उन्होंने मर्यादा, माधुरी आदि पत्रिकाओं में संपादक के रूप में कार्य किया। उन्होंने हिंदी समाचार पत्रजागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। उन्होंने मोहन दयाराम भवानानी की अजंता सिनेटोम कंपनी में कथा लेखक की नौकरी भी की। 1934 में आई फिल्म मजदूर की कहानी प्रेमचंद द्वारा ही लिखी गई है। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्यिक सृजन में लगे रहे। निरंतर बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण लंबी बीमारी के बाद 8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हो गया।
मुंशी प्रेमचंद: साहित्यिक परिचय
उपन्यास सम्राट कहे जाने वाले प्रेमचंद के
साहित्य जीवन का आरंभ 1901 से हो चुका था। आरंभ में वह नवाबराय के नाम से
उर्दू भाषा में लिखा करते थे। उनकी पहली रचना अप्रकाशित ही रही। इसका जिक्र
उन्होंने पहली रचना नाम के अपने लेख में किया है। उनका पहला उपलब्ध और उपन्यास असरारे मआबिद है। जिस का हिंदी रूपांतरण देवस्थान रहस्य से हुआ। 1907 में उनका पहला कहानी संग्रह सोजे वतन प्रकाशित हुआ। देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण इस संग्रह को अंग्रेज सरकार ने प्रतिबंधित कर इनकी सभी प्रतियां जप्त कर ली और उनके लेखक नवाब राय को भविष्य में लेखक ना करने की चेतावनी दी। जिसके कारण उन्हें नाम बदलकर प्रेमचंद के नाम से लिखना पड़ा उन्हें प्रेमचंद नाम से लिखने का सुझाव देने
वाले दया नारायण निगम थे।
प्रेमचंद्र नाम से उनकी पहली
कहानी बड़े घर की बेटी जमाना पत्रिका में प्रकाशित हुई। 1915 में उस समय की प्रसिद्ध हिंदी मासिक पत्रिका सरस्वती में पहली बार उनकी कहानी सौत नाम से प्रकाशित हुई। 1919 में उनका पहला हिंदी उपन्यास सेवासदन प्रकाशित हुआ। इन्होंने लगभग 300 कहानियां तथा डेढ़ दर्जन उपन्यास लिखें। असहयोग आंदोलन के दौरान सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देने के बाद वे पूरी तरह साहित्य सजृन में लग गए। रंगभूमि नामक उपन्यास के लिए उन्हें मंगलप्रसाद पारितोषक से सम्मानित किया गया। प्रेमचंद की रचनाओं में उस दौर के समाज सुधारक आंदोलन स्वाधीनता संग्राम तथा प्रगतिवादी आंदोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण है।
उनमें दहेज,अनमोल विवाह,पराधीनता,लगान,छुआछूत जाति-भेद,आधुनिकता,विधवा-विवाह आदि उस दौर की सभी प्रमुख समस्याओं का चित्रण मिलता है। हिंदी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936 तक के कालखंड को प्रेमचंद युग कहा जाता है।
मुंशी प्रेमचंद: रचनाएं
प्रेमचंद द्वारा लिखी गई प्रमुख रचनाएं इस
प्रकार हैं -
1. उपन्यास - असरारे मआबिद, हिंदी
रूपांतरण - देवस्थान हमखुर्मा व हमसवाब, हिंदी
रूपांतरण - प्रेमा रूठी रानी,, कर्मभूमि, प्रतिज्ञा गोदान, वरदान
तथा मंगलसूत्र।
2. कहानियां - प्रेमचंद ने लगभग 300 कहानियां लिखी। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं इस
प्रकार हैं -
दो बैलों की कथा, पूस की रात, ईदगाह, दो सखियां, नमक
का दरोगा, बड़े बाबू, सौत, सुजान भगत, बड़े
घर की बेटी, कफन, पंचपरमेश्वर, नशा, परीक्षा, शतरंज का खिलाड़ी, बलिदान, माता का हृदय, मिस
पदमा, कजाकी आदि।
3. कहानी संग्रह - सोजे वतन, सप्तसरोज, नवनिधि, समरयात्रा, मानसरोवर - आठ भागों में प्रकाशित।
4. नाटक - संग्राम, प्रेम
की वेदी और कर्बला ।
5. निबंध - पुराना जमाना नया जमाना, स्वराज के फायदे, कहानी
कला, हिंदू - उर्दू की एकता, उपन्यास, जीवन
में साहित्य का स्थान, महाजनी सभ्यता आदि।
6. अनुवाद - प्रेमचंद्र एक सफल अनुवादक भी थे, उन्होंने "टॉलस्टॉय की कहानियां"," चांदी की डिबिया"," न्याय" और गर्ल्सवर्दी के तीन नाटकों का
हड़ताल नाम से अनुवाद किया।
7. पत्र-पत्रिकाओं का संपादन - प्रेमचंद ने माधुरी, हंस, जागरण, मर्यादा का संपादन किया।
Source: https://www.nityastudypoint.com/2022/05/Premchand-ka-Jivan-Parichay.html
No comments:
Post a Comment